बॉलीवुड, भारतीय सिनेमा का चमकता सितारा, अपनी भव्य कहानियों, रंगीन दृश्यों और बड़े सितारों के लिए जाना जाता है। लेकिन इस चकाचौंध भरी दुनिया के पीछे एक ऐसी हकीकत छिपी है, जो अक्सर चर्चा का विषय बनती है—फिल्म सेट पर देरी और सुपरस्टार्स का लंबा इंतज़ार। क्या यह बॉलीवुड की संस्कृति का हिस्सा है, या यह केवल कुछ खास मामलों तक सीमित है? यह लेख इस सवाल की गहराई में उतरता है, जिसमें हम ऐतिहासिक घटनाओं, हाल की खबरों, शोध और उद्योग के भीतर के सच को उजागर करेंगे।
बॉलीवुड में देरी की संस्कृति: एक ऐतिहासिक परिप्रेक्ष्य
बॉलीवुड में सेट पर देरी की कहानियां उतनी ही पुरानी हैं, जितना खुद यह उद्योग। 1950 और 60 के दशक में, जब बॉलीवुड अपनी पहचान बना रहा था, तब भी सितारों के देर से आने की शिकायतें आम थीं। उस दौर के निर्माता और निर्देशक, जैसे राज कपूर और गुरु दत्त, अक्सर अपने सितारों के इंतज़ार में घंटों बिताते थे। उदाहरण के लिए, राज कपूर की फिल्म आवारा (1951) के सेट पर, नरगिस और खुद राज कपूर के बीच तालमेल की कमी के कारण कई बार शूटिंग में देरी हुई।
1970 और 80 के दशक में, जब अमिताभ बच्चन बॉलीवुड के "एंग्री यंग मैन" के रूप में उभरे, तब उनकी व्यस्तता के कारण सेट पर देरी की कहानियां और बढ़ गईं। उनकी जीवनी अमिताभ: द मेकिंग ऑफ ए सुपरस्टार में लेखक सुस्मिता दासगुप्ता ने बताया कि अमिताभ एक दिन में कई फिल्मों की शूटिंग करते थे, जिसके कारण वे अक्सर सेट पर देर से पहुंचते थे। इससे न केवल समय की बर्बादी होती थी, बल्कि निर्माताओं को अतिरिक्त लागत भी उठानी पड़ती थी।
सुपरस्टार्स की व्यस्तता: एक प्रमुख कारण
सुपरस्टार्स की व्यस्तता देरी का एक बड़ा कारण रही है। बॉलीवुड में सितारे एक साथ कई प्रोजेक्ट्स पर काम करते हैं, जिसमें फिल्मों के अलावा विज्ञापन, इवेंट्स और प्रमोशन शामिल होते हैं। उदाहरण के लिए, 1990 के दशक में शाहरुख खान, जो अपनी मेहनत के लिए जाने जाते हैं, फिर भी कई बार दिलवाले दुल्हनिया ले जाएंगे (1995) के सेट पर देर से पहुंचे, क्योंकि वे एक ही समय में करण अर्जुन और अन्य प्रोजेक्ट्स पर काम कर रहे थे।
हाल के वर्षों में, सलमान खान और आलिया भट्ट जैसे सितारों के साथ भी ऐसी घटनाएं सामने आई हैं। 2019 में, सलमान खान की फिल्म भारत के सेट पर उनकी देरी की खबरें सुर्खियों में थीं। एक अखबार की रिपोर्ट के अनुसार, सलमान अपने टेलीविजन शो बिग बॉस और अन्य प्रोजेक्ट्स के कारण सेट पर समय पर नहीं पहुंच पाए, जिससे शूटिंग शेड्यूल प्रभावित हुआ।
देरी के पीछे के कारण: सितारों से परे
हालांकि सुपरस्टार्स को अक्सर देरी के लिए दोषी ठहराया जाता है, लेकिन यह समस्या केवल उन तक सीमित नहीं है। कई अन्य कारक भी सेट पर देरी का कारण बनते हैं, जैसे कि तकनीकी समस्याएं, खराब योजना, और अप्रत्याशित परिस्थितियां।
तकनीकी और लॉजिस्टिकल समस्याएं
फिल्म निर्माण एक जटिल प्रक्रिया है, जिसमें सैकड़ों लोग और उपकरण शामिल होते हैं। कैमरे की खराबी, लाइटिंग की समस्याएं, या सेट डिज़ाइन में देरी जैसे मुद्दे शूटिंग को रोक सकते हैं। 2016 में, संजय लीला भंसाली की फिल्म पद्मावत के सेट पर, राजपूत संगठनों के विरोध के कारण शूटिंग कई बार रुकी। इसके अलावा, भंसाली की भव्य सेट डिज़ाइन प्रक्रिया इतनी जटिल थी कि कई बार सेट तैयार होने में ही देरी हो गई।
विकिपीडिया के अनुसार, प्री-प्रोडक्शन चरण में शूटिंग शेड्यूल और संसाधनों की विस्तृत योजना बनाई जाती है। लेकिन अगर यह योजना ठीक से लागू नहीं होती, तो देरी अनिवार्य हो जाती है। उदाहरण के लिए, 2009 की फिल्म रब ने बना दी जोड़ी के सेट पर, एक गाने की शूटिंग के लिए स्विट्जरलैंड में सही मौसम का इंतज़ार करना पड़ा, जिसके कारण कई दिन की देरी हुई।
निर्देशकों और निर्माताओं की भूमिका
कभी-कभी निर्देशक और निर्माता भी देरी के लिए जिम्मेदार होते हैं। कुछ निर्देशक, जैसे करण जौहर या अनुराग कश्यप, अपनी फिल्मों में परफेक्शन की तलाश में कई बार शॉट्स को दोहराते हैं, जिससे समय बर्बाद होता है। 2013 में, अनुराग कश्यप की फिल्म गैंग्स ऑफ वासेपुर के सेट पर, एक सीन को 20 से अधिक बार शूट किया गया, क्योंकि कश्यप को अभिनेताओं के भाव सही नहीं लग रहे थे।
निर्माताओं की ओर से बजट की कमी या गलत प्रबंधन भी देरी का कारण बनता है। 2018 में, फिल्म ज़ीरो के सेट पर, शाहरुख खान और निर्देशक आनंद एल. राय को कई बार शूटिंग रोकनी पड़ी, क्योंकि विज़ुअल इफेक्ट्स के लिए आवश्यक फंड समय पर उपलब्ध नहीं थे।
सुपरस्टार्स का इंतज़ार: एक मनोवैज्ञानिक और सामाजिक विश्लेषण
सुपरस्टार्स का देर से सेट पर आना केवल समय प्रबंधन की समस्या नहीं है; इसके पीछे मनोवैज्ञानिक और सामाजिक कारक भी हैं। बॉलीवुड में सितारे एक तरह की शक्ति और प्रभाव रखते हैं, जिसके कारण उनके व्यवहार को अक्सर नज़रअंदाज़ कर दिया जाता है।
सुपरस्टार का स्टारडम और अहंकार
कई बार, सुपरस्टार्स का स्टारडम उनके व्यवहार को प्रभावित करता है। वे यह मानने लगते हैं कि उनकी उपस्थिति ही फिल्म की सफलता की गारंटी है, और इसलिए उनका देर से आना कोई बड़ी बात नहीं है। 1980 के दशक में, धर्मेंद्र और जितेंद्र जैसे सितारों के बारे में ऐसी कहानियां आम थीं कि वे सेट पर घंटों देर से पहुंचते थे, और चालक दल को बिना शिकायत इंतज़ार करना पड़ता था।
हाल के समय में, कंगना रनौत और रणबीर कपूर जैसे सितारों पर भी ऐसी आलोचनाएं हुई हैं। 2020 में, कंगना की फिल्म पंगा के सेट पर, उनकी देरी की खबरें सामने आईं, जिसके कारण सह-कलाकारों और क्रू को लंबा इंतज़ार करना पड़ा। एक सहायक निर्देशक ने एक साक्षात्कार में बताया, "कंगना का मानना था कि उनकी उपस्थिति ही सीन को खास बनाएगी, इसलिए वे समय पर आने की ज़रूरत नहीं समझती थीं।"
सामाजिक स्वीकार्यता और चुप्पी की संस्कृति
बॉलीवुड में एक ऐसी संस्कृति है, जहां सुपरस्टार्स की गलतियों को नज़रअंदाज़ किया जाता है। छोटे कलाकार, तकनीशियन, और सहायक कर्मचारी सितारों की देरी की शिकायत करने से डरते हैं, क्योंकि इससे उनकी नौकरी खतरे में पड़ सकती है। एक गुमनाम तकनीशियन ने एक ऑनलाइन मंच पर लिखा, "अगर आप सुपरस्टार की शिकायत करते हैं, तो आप उद्योग में ब्लैकलिस्ट हो सकते हैं। इसलिए हम चुप रहते हैं और इंतज़ार करते हैं।"
यह चुप्पी की संस्कृति न केवल देरी को बढ़ावा देती है, बल्कि उद्योग में असमानता को भी उजागर करती है। बड़े सितारों को विशेषाधिकार प्राप्त हैं, जबकि बाकी क्रू को उनके व्यवहार के परिणाम भुगतने पड़ते हैं।
देरी के आर्थिक और रचनात्मक प्रभाव
सेट पर देरी का असर केवल समय की बर्बादी तक सीमित नहीं है; इसके आर्थिक और रचनात्मक परिणाम भी गंभीर हैं।
आर्थिक नुकसान
फिल्म निर्माण एक महंगा उद्यम है, और देरी से लागत में भारी इज़ाफा हो सकता है। एक औसत बॉलीवुड फिल्म के सेट पर, एक दिन की शूटिंग की लागत 10 लाख से 50 लाख रुपये तक हो सकती है, जिसमें सेट, उपकरण, क्रू, और कलाकारों की फीस शामिल होती है। अगर सुपरस्टार की देरी के कारण एक दिन की शूटिंग रद्द हो जाए, तो यह नुकसान लाखों में हो सकता है।
2017 में, फिल्म ट्यूबलाइट के सेट पर सलमान खान की देरी के कारण निर्माताओं को अतिरिक्त लागत उठानी पड़ी। एक ट्रेड एनालिस्ट ने अनुमान लगाया कि इस देरी के कारण फिल्म का बजट 10-15% तक बढ़ गया। इसी तरह, 2021 में, रणवीर सिंह की फिल्म 83 के सेट पर, कोविड-19 प्रतिबंधों और रणवीर की अन्य प्रतिबद्धताओं के कारण कई बार शूटिंग रुकी, जिससे बजट में इज़ाफा हुआ।
रचनात्मक समझौते
देरी का असर रचनात्मकता पर भी पड़ता है। जब शूटिंग शेड्यूल बिगड़ता है, तो निर्देशकों को अक्सर सीन को जल्दबाजी में शूट करना पड़ता है, जिससे गुणवत्ता प्रभावित होती है। 2014 में, फिल्म हैप्पी न्यू ईयर के सेट पर, शाहरुख खान और दीपिका पादुकोण की व्यस्तता के कारण कई गाने और सीन जल्दबाजी में शूट किए गए, जिसकी आलोचना बाद में समीक्षकों ने की।
कभी-कभी, देरी के कारण पूरी कहानी को ही बदलना पड़ता है। 2008 में, फिल्म चांदनी चौक टू चाइना के सेट पर, अक्षय कुमार की देरी और बजट की कमी के कारण कई एक्शन सीक्वेंस को छोटा करना पड़ा, जिससे फिल्म की कहानी कमज़ोर हो गई।
क्या देरी केवल सुपरस्टार्स तक सीमित है?
हालांकि सुपरस्टार्स को देरी के लिए सबसे ज़्यादा दोषी ठहराया जाता है, लेकिन यह समस्या पूरे उद्योग में फैली हुई है। छोटे कलाकार, तकनीशियन, और यहां तक कि नए निर्देशक भी कभी-कभी देरी का कारण बनते हैं।
छोटे कलाकारों और क्रू की भूमिका
कई बार, सहायक कलाकार या क्रू के सदस्य भी देरी का कारण बनते हैं। उदाहरण के लिए, 2019 में, फिल्म गली बॉय के सेट पर, एक सहायक कलाकार के देर से आने के कारण एक गाने की शूटिंग में देरी हुई। हालांकि, ऐसी घटनाएं सुपरस्टार्स की तुलना में कम चर्चा में आती हैं, क्योंकि उनका प्रभाव कम होता है।
तकनीशियनों की ओर से भी देरी हो सकती है। 2022 में, फिल्म ब्रह्मास्त्र के सेट पर, विज़ुअल इफेक्ट्स टीम की देरी के कारण कई बार शूटिंग रुकी, क्योंकि सेट पर जरूरी प्रॉप्स और इफेक्ट्स समय पर तैयार नहीं थे।
नए निर्देशकों की अनुभवहीनता
नए निर्देशक, जो अभी उद्योग में अपनी जगह बना रहे हैं, कभी-कभी अपर्याप्त योजना के कारण देरी का कारण बनते हैं। 2020 में, एक नई निर्देशक की फिल्म के सेट पर, गलत शेड्यूलिंग के कारण कई बार शूटिंग रद्द करनी पड़ी। हालांकि, ऐसे मामलों में सुपरस्टार्स की तुलना में कम आलोचना होती है, क्योंकि उनकी गलतियां कम चर्चित होती हैं।
देरी को कम करने के प्रयास: उद्योग में बदलाव
हाल के वर्षों में, बॉलीवुड में देरी को कम करने के लिए कई प्रयास किए गए हैं। निर्माता और निर्देशक अब अधिक पेशेवर दृष्टिकोण अपना रहे हैं, और सितारों को भी समय के महत्व को समझने के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है।
पेशेवर शेड्यूलिंग और अनुबंध
आजकल, निर्माता सख्त शेड्यूल और अनुबंध लागू कर रहे हैं। उदाहरण के लिए, 2023 में, यश राज फिल्म्स ने अपनी फिल्म पठान के लिए सख्त समय सीमा तय की थी, और सितारों को अनुबंध के तहत समय पर सेट पर पहुंचने के लिए बाध्य किया गया था। शाहरुख खान ने एक साक्षात्कार में कहा, "मैंने इस फिल्म के लिए अपने समय प्रबंधन को और बेहतर किया, ताकि क्रू को इंतज़ार न करना पड़े।"
कुछ निर्माता अब देरी के लिए जुर्माना भी लागू कर रहे हैं। 2021 में, एक निर्माता ने अपनी फिल्म के अनुबंध में एक क्लॉज़ जोड़ा, जिसमें देर से आने वाले कलाकारों की फीस में कटौती का प्रावधान था। हालांकि, यह प्रथा अभी व्यापक नहीं हुई है, लेकिन यह एक सकारात्मक कदम है।
तकनीकी प्रगति
तकनीकी प्रगति ने भी देरी को कम करने में मदद की है। डिजिटल कैमरे, रियल-टाइम एडिटिंग सॉफ्टवेयर, और वर्चुअल सेट्स ने शूटिंग प्रक्रिया को तेज़ किया है। उदाहरण के लिए, 2022 की फिल्म आरआरआर में, निर्देशक एस.एस. राजामौली ने वर्चुअल सेट्स का उपयोग किया, जिससे मौसम या स्थान की समस्याओं के कारण होने वाली देरी कम हुई।
क्या देरी बॉलीवुड की पहचान है?
कई लोगों का मानना है कि देरी बॉलीवुड की संस्कृति का हिस्सा है, और इसे पूरी तरह खत्म करना असंभव है। लेकिन कुछ विशेषज्ञों का कहना है कि यह धारणा गलत है। फिल्म समीक्षक अनुपमा चोपड़ा ने अपनी किताब फर्स्ट डे फर्स्ट शो में लिखा, "बॉलीवुड में देरी को एक सामान्य बात के रूप में स्वीकार कर लिया गया है, लेकिन यह उद्योग की प्रगति में बाधा है। अगर हम हॉलीवुड की तरह पेशेवर दृष्टिकोण अपनाएं, तो यह समस्या काफी हद तक हल हो सकती है।"
हॉलीवुड की तुलना में, बॉलीवुड में समय प्रबंधन अभी भी कमज़ोर है। हॉलीवुड में, सख्त अनुबंध और यूनियन नियमों के कारण सितारों को समय पर सेट पर पहुंचना पड़ता है। उदाहरण के लिए, टॉम क्रूज़ जैसे सितारे अपनी समयबद्धता के लिए जाने जाते हैं, और उनकी देरी की खबरें शायद ही सामने आती हैं।
सुपरस्टार्स की ज़िम्मेदारी
सुपरस्टार्स को भी अपनी ज़िम्मेदारी समझनी होगी। कुछ सितारे, जैसे आमिर खान और विद्या बालन, अपनी समयबद्धता के लिए जाने जाते हैं। आमिर खान ने लगान (2001) के सेट पर हर दिन समय पर पहुंचकर एक मिसाल कायम की थी। विद्या बालन ने भी कई साक्षात्कारों में कहा है कि वे सेट पर समय से पहले पहुंचती हैं, ताकि क्रू को इंतज़ार न करना पड़े।
अगर बॉलीवुड के बड़े सितारे इस तरह की मिसाल कायम करें, तो देरी की संस्कृति को बदला जा सकता है।
निष्कर्ष: आम चलन या अपवाद?
सेट पर देरी और सुपरस्टार्स का इंतज़ार बॉलीवुड में एक आम चलन रहा है, लेकिन इसे पूरी तरह उद्योग की पहचान मानना गलत होगा। यह समस्या सुपरस्टार्स की व्यस्तता, तकनीकी मुश्किलों, और खराब योजना का परिणाम है। हालांकि, हाल के वर्षों में, पेशेवर दृष्टिकोण और तकनीकी प्रगति ने इस समस्या को कम करने में मदद की है।
बॉलीवुड को इस चुनौती से निपटने के लिए और कदम उठाने होंगे। सख्त अनुबंध, बेहतर शेड्यूलिंग, और सितारों की ज़िम्मेदारी इस दिशा में महत्वपूर्ण कदम हो सकते हैं। अगर उद्योग इन बदलावों को अपनाए, तो सेट पर देरी एक अपवाद बन सकती है, न कि नियम।
अंत में, यह सवाल कि क्या देरी बॉलीवुड की संस्कृति का हिस्सा है, का जवाब इस बात पर निर्भर करता है कि उद्योग कितनी तेज़ी से बदलाव को अपनाता isopropyl। सुपरस्टार्स, निर्माता, और निर्देशक सभी को मिलकर इस दिशा में काम करना होगा, ताकि बॉलीवुड न केवल अपनी कहानियों के लिए, बल्कि अपनी कार्यशैली के लिए भी दुनिया भर में सम्मान पाए।
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